Saturday, December 13, 2014

मोदी कोसे हर मुआ .


नहीं चाँदमें दाग कुछ
सोनी जी बेदाग़ .

लम्पट भडुए कह रहे
हमसे खेलो फाग .



सागर जैसे उठ रहे
सबके मुंहमें झाग .
अब कोमे में हैं सभी 

बचा ना कोई राग .

सबकी अपनी छालनी
सबके अपने छाज .
मोदी का दुश्मन मिलें
तब आये 'स्व- राज' .

पानी तो पाया नहीं
खोदत दीखे सब कुआँ .
निकला सारों का धुँआ 
मोदी कोसे हर मुआ .

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