थामने हैं कई हाथ
कई जाने अभी बचानी हैं
किसीकी सिंदूर की डिब्बी
खोयी उसे पहुचानी है
खोयी उसे पहुचानी है
कई किश्तियाँ चली थी
जो लौट अभी आनी हैं
बहूत सी उलझने बाकी
जो मुझे सुलझानी हैं
जो लौट अभी आनी हैं
बहूत सी उलझने बाकी
जो मुझे सुलझानी हैं
बहूत सी ग़ज़ल बाकी
जो जमाने को सुनानी हैं
कई अनकहे अफ़साने
कई पुरानी कहानी हैं
जो जमाने को सुनानी हैं
कई अनकहे अफ़साने
कई पुरानी कहानी हैं
बहुत से वायदे अधूरे हैं
भरने हैं कई घाव -
कुछ तो पूर्ति कर दूं
जो अभी आधे अधूरे हैं
भरने हैं कई घाव -
कुछ तो पूर्ति कर दूं
जो अभी आधे अधूरे हैं
यहाँ मरने की फुर्सत कहाँ
कोई दूसरा नगर देखो
हे धर्मराज अभी तुम
दूसरा कोई घर देखो
कोई दूसरा नगर देखो
हे धर्मराज अभी तुम
दूसरा कोई घर देखो
No comments:
Post a Comment