Friday, January 6, 2017

धूपमे छाया हुआ हूँ

मूलधन उतरा नहीं जी
ब्याज में आया हुआ हूँ .
चौंच तोते की लगी है -
फल पका खाया हुआ हूँ .

नकद जैसा कुछ नहीं जी -
किश्त पर लाया हुआ हूँ .
दूर भी करते नहीं हैं  -
नाही अपनाया हुआ हूँ .

जिन्दगी लूट सी गयी है
मौत का साया हुआ हूँ .
मैं दिहाड़ी पर नहीं हूँ
सेलरी पाया हुआ हूँ .

सुलझता ऐसा नहीं जी
त्रिगुणी माया हुआ हूँ .
शीत में कोहरा घना हूँ
धूप में छाया हुआ हूँ .

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