Wednesday, December 14, 2016

संसदी सन्त सब ठाली मिले

कुवांरे 'माल' में ढूंढे हैं दिल
कहीं कोई हूर मतवाली मिले
महूर्त लग्न का निकला नहीं
विधुरको कैसे घरवाली मिले

गिरहकट दे रहा सबको दुआ
किसीकी जेब ना खाली मिले
और सरकार की हसरत यही
मिले राहत मगर जाली मिले

भरोसा अब किसी का क्या करें
मिले जो भी वो मवाली मिले
मेरी बस अर्ज़ इतनी दोस्तों
करू अच्छा नहीं गाली मिले

गया असबाब अब मिलता नहीं
ख़ज़ाने के डकैत रखवाली मिले
सफाई की वही करते हैं बात -
जिनकी जमुनामें जा नाली मिले

एक भी पौद फूलों की नहीं
चमनमें सब हमें माली मिले
गुज़ारे क्या करें हम दोस्तों
करेंसी नोट सब जाली मिले

गटर जैसी नदी बहती रही
नहाते लोग बस खाली मिले
फावड़े ले सभी तो आ गए
न झुग्गी देश में चाली मिले

बोयें क्या एक भी दाना नहीं
जोतते खेत सब हाली मिले
भरोसा अब किसी पर है नहीं
संसदी सन्त सब ठाली मिले

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