Wednesday, November 30, 2016

ना मोदी सा इतराता हूँ

लिखने से रोटी चलती है
लिखने पे गाली खाता हूँ
मैं भक्त नहीं हूँ मोदी का
मैं आज तुम्हें बतलाता हूँ

अब मेरी छोड़ कहो अपनी
क्यों भौंक रहे पट्टा पहने
न कज़री जैसी बात करू
ना मोदी सा इतराता हूँ

माया ममता पप्पू लालू
मैं सबपे कलम चलाता हूँ
सरहद न खींची है कोई
बेधड़क कहीं भी जाता हूँ

मैं दिलकी बाते करता हूँ
मैं दिलसे तुम्हे सुनाता हूँ
अपनी तो छोटी हस्ती है
फिरभी पहचाना जाता हूँ .

मैं लिखके बातें करता हूँ
मन ही मन में गुर्राता हूँ
मीठी पुड़िया से काम चले
तो टीका नहीं लगाता हूँ .

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