Saturday, December 12, 2015

एक कतरा बूँद से सागर बना रे



चल पड़े हैं कारवां मंजिल पे देखो 

जिन्दगी है खेल कोई अब ना हारे. 
जाने कैसे आगये आँखों में आंसू - 
तूने दिलसे आज जाने क्या कहा रे .

मेघ फिरसे आ गये सागर किनारे 
अश्क आँखों से ना यारा तू बहा रे .
युक्तियों से मुक्तियों की बात झूठी 
एक कतरा बूँद से सागर बना रे .

करना दिलको यार तूभी अनमना रे 
प्यार कविता है ना कोरी कल्पना रे .
मत कहो आकाश में कोहरा घना रे 
छोड़ धरती नभमें अपना घर बना रे .

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