Monday, December 14, 2015

करेंसी नोट सब जाली मिले

बोयें क्या एक भी दाना नहीं
जोतते खेत सब हाली मिले .
भरोसा अब किसी पर है नहीं
संसदी सन्त सब ठाली मिले .

गटर जैसी नदी बहती रही
नहाते लोग बस खाली मिले .
फावड़े ले सभी तो आ गए
न कोई देश में नाली मिले .

एक भी पौद फूलों की नहीं 
चमनमें सब हमें माली मिले .
गुज़ारे क्या करें हम दोस्तों
करेंसी नोट सब जाली मिले .

गया असबाब अब मिलता नहीं
डकैत हमको रखवाली मिले .
चरित मानस पुराणी बात है 
नहीं सुग्रीव सब बाली मिले .

भरोसा अब किसी का क्या करें
मिले जो भी वो मवाली मिले .
मेरी बस अर्ज़ इतनी दोस्तों
करू अच्छा नहीं गाली मिले .

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