Monday, November 30, 2015

हमतो गलीके देसी कुत्ते हैं जी

एलिशेसन विदेसी नस्ल के नहीं
हम तो गली के देसी कुत्ते हैं जी
आते जाते पर बेवजह भौंकते हैं
लोग डरते भागते चौंकते हैं जी
टुकड़े डाल दो तो दूम हिलाते हैं
वफ़ादारीकी कीमत चुकाते हैं जी
गलीमें पड़े रहते हैं कही नहीं जाते
अजनबी को दूर तक दौड़ते हैं जी

अंगेरजी हमें कुछ खास नहीं आती
सफ़ेद चमड़ी ज्यादा रास नहीं आती
लोगों की हद नहीं हमारी सरहद है
जिसे कभी कभार लांघ जाते हैं जी

गोश्त भी श्रीमान हम देसी खाते हैं जी
भुनगे सी जिंदगी जीते हैं बिताते हैं जी
कभी किसी अखबार चैनेलकी सुर्खी में
कौशिश भी करें तो नहीं आते हैं जी .
जन्म मरण सड़क फुटपाथ पे सरे आम
पब्लिक से कुछभी तो नहीं छिपाते हैं जी
भोजनभट्ट नहीं थोड़े में काम चलाते हैं जी
आम लगते जरूर पर ख़ास कहलाते हैं जी

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