Thursday, June 18, 2015

ना सही गीत फ़साना तो है .

अकेला कट नहीं सकता सफ़र 
किसीका अब हमे होना तो है .
नींद आयी ना तुम आये मगर 
हुई जब रात फिर सोना तो है .

बुझा बुझा उदास सा यारो 
इस दिलको हसाना तो है .
महूब्ब्त ना हुई अच्छा हुआ -
ना सही गीत फ़साना तो है .

मैं खुदसे बात कर लेता जरुर -
मौसम कुछ आज सुहाना तो है .
ग़ज़ल वो आज तक लिखी नहीं 
उन्हें फिर लौटकर आना तो है .

खुदा फुर्सत उन्हें बक्शो जरा 
हाले दिल उनको सुनना तो है . 
चले गये तो याद आयेंगे जरुर . 
हमारे बाद ज़माना तो है .

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