Sunday, May 10, 2015

मुक्तक


मैं इतना भी लाचार नहीं - 
करनी कोई मनुहार नहीं .
जो जैसा हूँ वो दिखता हूँ . 
अनमोल बड़ा ना बिकता हूँ
बस दिल की बातें कहता हूँ 
जो मनमें आये लिखता हूँ .


बात तुमसे एक कहनी है मुझे -
मेरे सपनों में भी आता है कोई . 
सामने दिखता नजर आता नहीं -
मैं नहीं लिखता लिखाता है कोई .

रिश्तों के ताने बाने हैं -
अब किसने और निभाने हैं .
पीछे सब हैं उलझे धागे 
चल छोड़ यार चलें आगे .

ना राधासी ना मीरासी 
ना मोतीसी ना हीरासी .
मिली जो ठीक है यारो - 
वो हल्दीसी वो जीरासी .

सफ़रमें ही रहे खोले कहाँ हैं .
अभी असबाब सारे पैक हैं जी . 
बुलावे मौत की चिंता नहीं है -
मुसाफिर हूँ उठे और चल देंगे .

मैं कोई कवि नहीं दोस्त 
ये चंद शब्दों के अंश हैं .
कविता से नहीं लगते -
मात्र कविता के अपभ्रंश हैं .

आज खुद ये कह रहा हूँ 
मैं नदीसा बह रहा हूँ 
हुई तूफानों की छुट्टी - 
अटल तट बन रह रहा हूँ .

मेरी चिंता मत करो प्रिय - 
इस दिलको मैं बहला लूँगा 
पलकों की भूल भूलैया में 
सपना बनके खो सकते हो .
बिगड़ा अबभी कुछ नहीं यार - 
जिसके चाहे हो सकते हो .

http://yatranaama.blogspot.com/

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