Sunday, May 24, 2015

लगा सेल पटरी पे हम बेचते हैं .

घरमें बिका कोई रस्ते में यारो
कोई महंगे कोई सस्ते में यारो .
गर देखने की तबियत तुम्हारी
हरेक माल है मेरे बस्ते में यारो .

बिकाऊ सभी हैं खरीदो जो चाहे
भले चाहे अपने या कोई पराये .
कभी थोडा कहीं कम सही पर
जमीरी के उजले कफ़न बेचते हैं .

ये बाबा ये बापू ये अन्ना हजारे
किसे बेचने यारो दिल्ली पधारे .
बिकता नहीं ऊँचे दामों पे उनको
लगा सेल पटरी पे हम बेचते हैं .

मेरा देश घर सब जगत है हमारे .
जिन्हें बेचकर लोग करते गुज़ारे .
जो बिकती नहीं चीज़ चाहें कहींपे
वो नमकीन चीनीको हम बेचते हैं .

बिकाऊ है वोटर है नेता बिकाऊ
अर्थ छोडिये अब शब्द है बिकाऊ .
खरीदो फ़रोख्त इसमें कुछभी नहीं है
बिके माल को फिरसे हम बेचते हैं .

धर्म है बिकाऊ कर्म है बिकाऊ
शर्म का बनाया भरम है बिकाऊ .
बिछा जाल फंदा कोई तो फंसेगा .
खबरदार पढके जो कोई हंसेगा .

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