अबभी हिरनी सी मस्तानी
कुछ फर्क नहीं है चालों में
वैसे ही सुंदर लगती हो -
ज्यों फूल लगे हों डालों में .
नजरोंसे दिलको ठगती हो .
खोवो मत ग़ज़ल रिसालों में.
खोवो मत ग़ज़ल रिसालों में.
खा तरस हमारे हालो में -
क्यों हरदम रहो सवालों में .
बीमार रहा इन सालों में -
आशिक हूँ मैं कंगालों में .
ना फूल लगा तू बालों में -
खोदो ना खड्डे गालों में .
आशिक हूँ मैं कंगालों में .
ना फूल लगा तू बालों में -
खोदो ना खड्डे गालों में .
No comments:
Post a Comment