Saturday, May 16, 2015

खोदो ना खड्डे गालों में .

अबभी हिरनी सी मस्तानी 
कुछ फर्क नहीं है चालों में 
वैसे ही सुंदर लगती हो -
ज्यों फूल लगे हों डालों में .


नजरोंसे दिलको ठगती हो .
खोवो मत ग़ज़ल रिसालों में.
खा तरस हमारे हालो में -
क्यों हरदम रहो सवालों में .

बीमार रहा इन सालों में -
आशिक हूँ मैं कंगालों में .
ना फूल लगा तू बालों में -
खोदो ना खड्डे गालों में .

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