Thursday, March 26, 2015

हर कोई तुझको ठगता है .

बाहर आकर भी देख कभी 
यमुना बदली है नालों में .
बंधकर जाने क्यों रहता है 
इन मंदिर और शिवालों में .

पंडों का धन ईमान प्रभु -
उनको तो चहिए दान प्रभु
तू भी रहता अनजान प्रभु .
है कहाँ तुम्हारा ध्यान प्रभु .

इस भीड़ भाड़ में अब तेरा
दिल जाने कैसे लगता है .
मंदिर में घंटों की ध्वनिसे -
क्यों सोया तू ना जगता है .

ठग विद्या बीती बात सखे
अब रातों को जग जगता है
छलिया सा अब तू नहीं यार
हर कोई तुझको ठगता है .

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