Thursday, October 9, 2014

वो भी बुझे बुझे हैं

वो भी बुझे बुझे हैं -
ये दिल भी परेशां सा . 
ना जाने क्या हुआ है -
क्यों आँख में नमी है .

क्यों गिर रहे हैं आंसू 
शबनम से दरखतों पर .
किसने इन्हें सताया - 
बेदर्द क्यों जमीं है .

उस ऊँचे आसमां से 
पूछो तो सही यारो .
किस बात का वहम है 
किस बात की कमी हैं .


यूँ सर पे आसमां है -
पैरों तले जमीं हैं .
दिल भाव से भरा पर - 
कहने को कुछ नहीं है .


नीरस ही सही लेकिन 
जीना सही है यारो .
अब मौत भूतनी की -
यूँ कौन सी हंसी हैं .

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