Monday, August 11, 2014

ना देश ये चंद जहीनों का .

ना देश ये चंद जहीनों का .
कुछ लुच्चे और कमीनो का .
टूटी सीढ़ी और जीनो का .
ना ढाई इंची सीनों का .

ना सरकारी संगीनों का 
ना उतरी चूड़ी मीनो का .
फन सापोंके और बीनो का
छप्पर और टूटी टीनो का .

ना फ़िल्मी भांड गवैयों का
ना क्रिकेट के उन भइयों का .
ना सरकारी बेकाबू का -
दफ्तर के रिश्वत बाबू का .

ना माया का ना ममता का
ना टालू का ना लालू का .
ना पप्पू का ना अम्मा का .
न ऐसे किसी निक्कमे का .

ये देश है श्रमिक किसानो का
आज़ादी के परवानों का .
सरहद पर बैठे वीरो का
दुश्मन को दे जो चीरों का .

उन देश भक्त बलिहारों का
नेताजी की ललकारों का .
है भगत सिंह के प्यारों का .
हम देशप्रेम के मारों का .

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