एक अफलातून सा मैं
और ये शातिर ज़माना .
कह रहा हूँ साफ़ तुमसे
ना हमें तुम अजमाना .
गालियाँ देता नही मैं -
ना किसी को कोसता हूँ
चिकनी मिट्टी का घड़ा हूँ .
बूँद भी ना सोखता हूँ .
शब्द मेरे बोलते हैं
भेद सारे खोलते हैं
तेरे दिल का वास्ता हूँ
मंजिलें हूँ रास्ता हूँ -
भावनाओं से भरा हूँ -
धार के संग बह रहा हूँ .
है कोई मुझको संभाले -
हर तरफ से ढह रहा हूँ .
हैं विरोधाभास कितने -
सचके लेकिन पास कितने
आज तुमसे कह रहा हूँ .
सबकी पीड़ा सह रहा हूँ .
और ये शातिर ज़माना .
कह रहा हूँ साफ़ तुमसे
ना हमें तुम अजमाना .
गालियाँ देता नही मैं -
ना किसी को कोसता हूँ
चिकनी मिट्टी का घड़ा हूँ .
बूँद भी ना सोखता हूँ .
शब्द मेरे बोलते हैं
भेद सारे खोलते हैं
तेरे दिल का वास्ता हूँ
मंजिलें हूँ रास्ता हूँ -
भावनाओं से भरा हूँ -
धार के संग बह रहा हूँ .
है कोई मुझको संभाले -
हर तरफ से ढह रहा हूँ .
हैं विरोधाभास कितने -
सचके लेकिन पास कितने
आज तुमसे कह रहा हूँ .
सबकी पीड़ा सह रहा हूँ .
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