नहीं भाग ये जाएगा
कहीं तेरा ये देश .
रहने दे दो चार दिन
ठोक ना सर में पेच .
थोडा खाया है अभी -
भरा नहीं है पेट
हम कंगले हैं जन्म से
महंगा अपना रेट .
पुरखों का ये देश है
हमको ही ये सोय
दिल्ली मेरे बाप की
कभी ना तेरी होय .
बोतल पर ढक्कन लगा
करदे बेटा सील .
बुरा नहीं इसमें कछु
गिल्टी मत कर फील .
कहीं तेरा ये देश .
रहने दे दो चार दिन
ठोक ना सर में पेच .
थोडा खाया है अभी -
भरा नहीं है पेट
हम कंगले हैं जन्म से
महंगा अपना रेट .
पुरखों का ये देश है
हमको ही ये सोय
दिल्ली मेरे बाप की
कभी ना तेरी होय .
बोतल पर ढक्कन लगा
करदे बेटा सील .
बुरा नहीं इसमें कछु
गिल्टी मत कर फील .
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