Monday, January 6, 2014

गिल्टी मत कर फील

नहीं भाग ये जाएगा 
कहीं तेरा ये देश .
रहने दे दो चार दिन 
ठोक ना सर में पेच . 

थोडा खाया है अभी - 
भरा नहीं है पेट 
हम कंगले हैं जन्म से 
महंगा अपना रेट .

पुरखों का ये देश है 
हमको ही ये सोय 
दिल्ली मेरे बाप की 
कभी ना तेरी होय . 

बोतल पर ढक्कन लगा 
करदे बेटा सील .
बुरा नहीं इसमें कछु 
गिल्टी मत कर फील .

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